Photo Courstey जिन नज़रों से मै तुम्हें देखता हूँ, उन नज़रों कि कसम वो दुआएं जिनमे तुम हर पल बस्ती हो उन सभी दुआओं की कसम जिन रातों की चांदनी तुमसे वाबस्ता है ऐसे हर रातों कि कसम जिस सुबह को तुम्हारी गुज़ारिश है उन सभी सुबहों कि कसम जिन घटाओं में शामिल तुम बे वक़्त बरसा करती हो उन सभी घटाओं कि कसम जिन खूबसूरत वादियों में हम तुम शाम ठले मिलते थे उन सभी हसीन वादियों की कसम जिन साँसों में तुम धड़कन बन कर बजती हो उन सभी साँसों कि कसम याद करना तो आया न मुझे पर अब जब भुलाना चाहुँ तो भूल भि न पाऊं रोना तो सीख लिया मैंने ज़िन्दगी भुलाना तो तुमने सिखाया न मुझे. You can listen to this poem HERE
Together, under a clear blue sky